राहुल से ऋषभ – विकेट के पीछे बैठा भविष्य का धाकड़ बल्लेबाज : rishabh pant
नमस्कार! आज हम आपको बताएंगे भारतीय क्रिकेट टीम के एक ऐसे युवा खिलाड़ी की कहानी, जिसने कम उम्र में ही अपनी धाकड़ बल्लेबाजी से सबका दिल जीत लिया. ये हैं – rishabh pant !
ये कहानी है एक छोटे शहर रुड़की, उत्तराखंड की. 1997 में यहीं पैदा हुए थे ऋषभ. क्रिकेट का जुनून बचपन से ही सवार था. 12 साल की उम्र में ही क्रिकेट कोच तरुण सिन्हा के सानिध्य में दिल्ली के सोननेट क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू कर दी.
लेकिन राह आसान नहीं थी. एक तो क्रिकेटर बनने का सपना, ऊपर से दिल्ली जैसे महानगर में रहने की चुनौती. ऋषभ की माँ सरोोज पंत उन्हें ट्रेनिंग के लिए लाती थीं. मगर रहने की ठीक-ठाक जगह न होने के कारण उन्हें मजबूरन मोटी बाग के एक गुरुद्वारे में शरण लेनी पड़ती थी.
यह संघर्ष सिर्फ मैदान के बाहर नहीं, बल्कि मैदान के अंदर भी था. कोच तरुण सिन्हा ने ऋषभ की बल्लेबाजी में पूरी तरह बदलाव लाने का सुझाव दिया. उन्हें अपनी पुरानी आदतों को छोड़कर एक नए तरह से बल्ला चलाना सीखना था.
यह आसान फैसला नहीं था. मगर ऋषभ ने हार नहीं मानी. उन्होंने कड़ी मेहनत की और अपने कोच के बताए गए तरीकों को अपनाया. ये मेहनत रंग लाई. जल्द ही ऋषभ अपने आक्रामक बल्लेबाजी अंदाज के लिए पहचाने जाने लगे.
19 साल की उम्र में ऋषभ को एक बड़ा मौका मिला. उन्हें अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया. 2016 में खेले गए इस वर्ल्ड कप में ऋषभ ने शानदार प्रदर्शन किया. खासकर नेपाल के खिलाफ खेली गई उनकी 18 गेंदों में 50 रनों की पारी तो कमाल ही थी. ये अंडर-19 वर्ल्ड कप में सबसे तेज अर्धशतक बनाने का रिकॉर्ड था.
लेकिन ये तो सिर्फ शुरुआत थी. ऋषभ का असली सफर तो अभी शुरू होने वाला था. आगे के अध्यायों में हम आपको बताएंगे कि कैसे ऋषभ ने घरेलू क्रिकेट में धमाल मचाया, फिर इंडियन प्रीमियर लीग में सबको चकित कर दिया और आखिरकार भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरे.
घरेलू क्रिकेट में धमाल – रणजी ट्रॉफी में आया तूफान : rishabh pant
अंडर-19 वर्ल्ड कप के बाद ऋषभ पंत को घरेलू क्रिकेट में दिल्ली की टीम में शामिल कर लिया गया. साल 2016-17 के रणजी ट्रॉफी सीजन में ऋषभ ने डेब्यू किया. पहली ही गेंद पर उन्होंने छक्का लगाकर सबको चौंका दिया. ये उनका अंदाज था – बेखौफ और आक्रामक!
उसी सीजन में ऋषभ ने झारखंड के खिलाफ तिहरा शतक जड़ा. उन्होंने सिर्फ 48 गेंदों में शतक पूरा किया, जो रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे तेज शतक का रिकॉर्ड बन गया. इसके अलावा उन्होंने 308 रन बनाकर रणजी ट्रॉफी में दिल्ली के लिए सबसे ज्यादा व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया.
ऋषभ का बल्ला लगातार रन उगल रहा था. उन्होंने अगले ही मैच में महाराष्ट्र के खिलाफ 146 रन बनाए. उनका आक्रामक बल्लेबाजी अंदाज क्रिकेट जगत में चर्चा का विषय बन गया. कुछ उन्हें MS Dhoni का उत्तराधिकारी बताने लगे, तो कुछ उन्हें उनके बेखौफ अंदाज के लिए पसंद करने लगे.
लेकिन ऋषभ सिर्फ बल्लेबाजी में ही नहीं, बल्कि विकेटकीपिंग में भी कमाल दिखा रहे थे. उनकी तेज नजर और विकेट के पीछे की फुर्ती सबको प्रभावित कर रही थी. ये वो दौर था, जब भारतीय क्रिकेट टीम को एक ऐसे युवा खिलाड़ी की तलाश थी, जो बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग दोनों में ही दमदार हो.
ऋषभ पंत उस समय टीम इंडिया के लिए एक उम्मीद की किरण बनकर उभरे. लगातार शानदार प्रदर्शन के बाद उन्हें 2017 में भारत-ए की टीम के साथ इंग्लैंड दौरे पर जाने का मौका मिला. वहां भी उन्होंने कमाल का प्रदर्शन किया और सिलेक्टर्स को ये यकीन दिला दिया कि वो जल्द ही भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरेंगे.
आईपीएल में धूम मचाने से टीम इंडिया तक का सफर : rishabh pant
2016 में हुए आईपीएल ऑक्शन में दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) ने 1.9 करोड़ रुपये में ऋषभ पंत को अपनी टीम में शामिल कर लिया. ये उनके लिए एक सुनहरा मौका था.
अपने आईपीएल डेब्यू मैच में ही ऋषभ ने गुजरात लायंस के खिलाफ 36 रन बनाकर सबको प्रभावित किया. इसके बाद उन्होंने लगातार शानदार प्रदर्शन किया. खासकर कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ खेली गई उनकी 97 रन की पारी कमाल की थी. ये आईपीएल डेब्यू सीजन में किसी भी भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर था.
ऋषभ का आईपीएल करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा है. कभी वो धमाकेदार बल्लेबाजी करते हैं, तो कभी जल्दी आउट हो जाते हैं. लेकिन उनका आक्रामक बल्लेबाजी अंदाज दर्शकों को खूब पसंद आता है.
आईपीएल में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बाद ऋषभ पंत को श्रीलंका के खिलाफ 2017 में टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम में शामिल कर लिया गया. डेब्यू मैच में ही उन्होंने अर्धशतक लगाकर सबको चौंका दिया. ये किसी भी भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज द्वारा टी20 डेब्यू में बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर था.
इसके बाद उन्हें इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भी टीम में शामिल किया गया. 2018 में नॉटिंघम में खेले गए पहले टेस्ट मैच में ऋषभ पंत ने डेब्यू किया. टेस्ट क्रिकेट में भी उन्होंने निराश नहीं किया और अपनी आक्रामक बल्लेबाजी का जलवा बिखेरा.
हालांकि, टेस्ट क्रिकेट में शुरुआती सफलता के बाद ऋषभ पंत को लगातार अच्छा प्रदर्शन करने में थोड़ी दिक्कत आई. मगर उन्होंने हार नहीं मानी. लगातार मेहनत की और अपने आप को साबित किया.
टेस्ट क्रिकेट में दमदार वापसी – ऑस्ट्रेलिया को उन्हीं की धरती पर पछाड़ने वाला बल्लेबाज : rishabh pant
2018-19 के बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान ऑस्ट्रेलिया दौरे पर ऋषभ पंत को फिर से एक मौका मिला. सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच में उन्हें टीम में शामिल किया गया. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर खेले गए इस टेस्ट मैच में भारत को जीत के लिए एक मुश्किल लक्ष्य का पीछा करना था.
उस समय भारतीय टीम काफी दबाव में थी. लेकिन ऋषभ पंत ने निडर होकर बल्लेबाजी की और शानदार 115 रन बनाकर टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई. उनकी ये पारी ऑस्ट्रेलियाई धरती पर किसी भी भारतीय विकेटकीपर द्वारा बनाया गया सर्वोच्च स्कोर था.
इस पारी के बाद ऋषभ पंत टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के लिए एक अहम खिलाड़ी बनकर उभरे. उन्होंने विदेशी परिस्थितियों में भी शानदार प्रदर्शन किया. इंग्लैंड में 2021 के दौरान खेली गई टेस्ट सीरीज में भी ऋषभ पंत का बल्ला जमकर बोला. खासकर ओवल मैदान पर खेले गए चौथे टेस्ट मैच में उनकी 146 रन की पारी ने भारत को सीरीज जीतने में अहम योगदान दिया.
ऋषभ पंत की सबसे बड़ी खासियत है उनका आक्रामक बल्लेबाजी अंदाज. वो किसी भी गेंदबाजी की धज्जियां उड़ाने में माहिर हैं. साथ ही साथ वो परिस्थिति के अनुसार अपना खेल भी बदल सकते हैं. टेस्ट क्रिकेट में लੰबी पारियां खेलने की उनकी क्षमता लगातार निखर रही है.
हालांकि, कभी-कभी उनका आक्रामक अंदाज उन्हें जल्दी आउट करवा देता है. लेकिन लगातार सीखने और सुधार करने की उनकी कोशिश जारी है. ये उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में ऋषभ पंत टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम के लिए एक दिग्गज खिलाड़ी के रूप में उभरेंगे.
भविष्य का सितारा – भारतीय क्रिकेट जगत में ऋषभ पंत का मुकाम : rishabh pant
आज 24 साल की उम्र में ही ऋषभ पंत भारतीय क्रिकेट टीम के अहम खिलाड़ी बन चुके हैं. तीनों फॉर्मेट – टेस्ट, वनडे और टी20 में वो टीम इंडिया का हिस्सा हैं. उनका आक्रामक बल्लेबाजी अंदाज उन्हें गेंदबाजों के लिए एक चुनौती बनाता है. साथ ही विकेट के पीछे उनकी तेज नजर और फुर्ती किसी भी विकेटकीपर के लिए आदर्श मानी जाती है.
कुछ विशेषज्ञ ऋषभ पंत को भविष्य का कप्तान मानते हैं. उनकी युवा जोश और आक्रामक रणनीति उन्हें कप्तानी के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है. मगर इसके लिए उन्हें अभी और परिपक्व होने और अपनी कप्तानी स्किल्स को निखारने की जरूरत है.
ऋषभ पंत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है निरंतरता बनाए रखना. कभी-कभी उनका आक्रामक अंदाज उन्हें जल्दी आउट करवा देता है. उन्हें परिस्थिति के अनुसार अपना खेल संयम से खेलना सीखना होगा.
लेकिन लगातार सीखने और मेहनत करने का जज्बा ऋषभ पंत की सबसे बड़ी ताकत है. यही वजह है कि क्रिकेट के दिग्गज भी उनसे काफी उम्मीदें लगाते हैं.
आने वाले समय में ऋषभ पंत भारतीय क्रिकेट जगत में एक बड़ा नाम बनकर उभर सकते हैं. वो ना सिर्फ शानदार बल्लेबाज के रूप में, बल्कि एक सफल कप्तान के रूप में भी टीम इंडिया का नेतृत्व कर सकते हैं.
तो ये थी ऋषभ पंत की कहानी – एक छोटे शहर से निकलकर भारतीय क्रिकेट टीम तक पहुंचने का सफर. उम्मीद है कि ये कहानी आपको पसंद आई होगी.