कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर है चिंतित? जाने डॉक्टर क्या कह रहे हैं

कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर है चिंतित? जाने डॉक्टर क्या कह रहे हैं

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हाल के दिनों में कोविद-19 वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर जो खबरें मिली है उसे लोगों को चिंतित होना स्वाभाविक है। ऐसा कहा जा रहा है कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वालों में हार्ट अटैक का खतरा अधिक है। अगर आपने भी कोविशील्ड वैक्सीन ली है और आप परेशान है तो आज हम बताएंगे कोविडसील्ड वैक्सीन के बारे में डॉक्टर क्या कह रहे हैं लेकिन उसके पहले समझेंगे पूरा मामला।

जानेंगे क्या है मामला

अभी हाल में ही ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्रेजनेका ने इस बात को स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड वैक्सीन के कुछ रेयर साइड इफेक्ट देखने को मिल सकते हैं। इसी बीच लोगों के मन में कोविड वैक्सीन को लेकर तरह-तरह के सवाल आने लगे। इस संबंध में भारतीय डॉक्टरों की क्या राय है आज हम इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे।

 कोविशील्ड वैक्सीन

दरअसल भारत में सिरम इंस्टीट्यूट ने एस्ट्रेजनेका के फार्मूले से ही कोविशील्ड वैक्सीन को बनाया था। ब्रिटेन की मीडिया के अनुसार कहा जा रहा है कि ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्रेजनेका पर 150 मुकदमे चल रहे हैं इसमें दर्जनों मामले ऐसे सामने आए हैं जिसमें कंपनी पर आरोप लगाया है कि टीका लगने के कारण लोगों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ गए।

एस्ट्रेजनेका ने क्या कहा

 इसी बीच ब्रिटिश कंपनी एस्ट्रेजनेका ने कहा है कि हमारी सहानुभूति उन लोगों के साथ है जो अपने प्रियजनों को खो दिए हैं। या फिर जिन्हें स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न हुई है। लेकिन हमारी प्राथमिकता मरीजों की सुरक्षा है। हमारे अधिकारियों के पास टीका सहित सभी दावों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कड़े मानक निर्धारित किए गए हैं। परीक्षण और जांच के आधार पर हम कह सकते हैं कि एक्स्ट्राजेनिका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन सुरक्षित है और दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार कह रहे हैं कि टीकाकरण के दुष्प्रभाव बेहद दुर्लभ हैं। इसके रेयर साइड इफेक्ट की तुलना में इसके लाभ काफी ज्यादा है।

कोविशील्ड के संबंध में भारत के डॉक्टर की राय

 कोविशील्ड वैक्सीन के बारे में भारतीय डॉक्टरो की राय क्या है? इस संबंध में इंडिया टुडे ने उन डॉक्टर से बात की जिन्होंने कोविड महामारी का काफी गहराई से अध्ययन किया है। एस्ट्रोजेनिका कंपनी ने कोर्ट में माना कि वैक्सीन लेने वाले लोगों में इसके दुर्लभ दुष्परिणाम पाए गए हैं। 

हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार का कहना है कि एस्ट्रोजेनिका ने स्वीकार किया है कि कोविडशील्ड और वैक्सजवेरिया ब्रांड के तहत बेची जाने वाली वैक्सीन से टीटीएस नमक साइड इफेक्ट की संभावना बेहद कम देखने को मिली है। पहले भी कोविड के टीका समेत गई टीकों के प्रतिकूल प्रभाव से इसे जोड़ा जा रहा है।

टीटीएस बीमारी क्या है ?

टीटीएस एक दुर्लभ बीमारी है। इसमें शरीर में खून का थक्का बनने लग जाता है और प्लेटेलेंट की संख्या कम हो जाती है। नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ राजीव देवन ने कहा कि ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट में यह सब कुछ कहा गया है। वैक्सीन से होने वाले दुर्लभ दुष्प्रभाव पर पहले ही चर्चा की जा चुकी है।

 वास्तव WHO ने 2021 में इस संबंध में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी।

भारत में 2 साल पहले जिन लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन ली थी वह बहुत चिंतित है। ऐसे में उन्हें क्यों नहीं चिंतित होना चाहिए?

 इस संबंध में डॉ सुधीर कुमार ने वैक्सीन से संबंधित प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में कहा कि आमतौर पर वैक्सीन लगने के कुछ हफ्ते बाद साइड इफेक्ट देखने को मिल जाते हैं। इसलिए जो लोग भारत में 2 साल पहले वैक्सीन लिए थे उन्हें अब चिंता करने की जरूरत नहीं है। वहीं नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि साइड इफेक्ट केवल पहली खुराक के बाद एक महीने के अंदर ही देखने लगते हैं उसके बाद नहीं।

वैक्सीन लगने के पश्चात भारत में टीडीएस की क्या स्थिति है?

 भारत में वैक्सीन लगने के बाद टीडीएस मामले की जानकारी फिलहाल नहीं आई है। कुछ अलग-अलग मामले में रिपोर्ट दर्ज की गई है। बता दें कि भारत में लाखों लोगों को वैक्सीन की खुराक दी गई है। ऐसे में कोविड टीकाकरण के बाद टीटीएस का होना बेहद दुर्लभ है। बता दें कि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में अब तक 1.7 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लगा चुका है।

टीटीपी के बारे में डॉक्टर सुधीर की राय

टीटीपी के बारे में लोग 100 साल पहले से जानते हैं। पहला मामला 1924 में एक 16 वर्षीय लड़की में देखा गया था। बहुत सारे लोग इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि खून के थक्के जमने की वजह से परेशानी हुई है और लोगों को दिल का दौरा पड़ा है। लेकिन क्या यह वैक्सीन की वजह से हो सकता है?

इस संबंध में डॉक्टर सुधीर ने कहा कि कोविड 19 के टीके खून के थक्के बनने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। लेकिन रिस्क बहुत कम होता है।  कार्डियक अरेस्ट या दिल का दौरा पडने की वजह वैक्सीन हो, इसकी सम्भवना न के बराबर है।

 भारत समेत अन्य देश में प्रकाशित कई रिसर्च रिपोर्ट से यह बात साबित हो चुकी है कोविड संक्रमण से रक्त का थक्का बनने की संभावना बढ़ तो जाती है। लेकिन यह कोविड-19  से काफी ज्यादा होता है। टीटीएस के मामले कोरोना वैक्सीन लगने के चार हफ्ते के अंदर हो सकते हैं। 

युवाओं में कार्डियक अरेस्ट का क्या कारण है?

 इस संबंध में डॉक्टर सुधीर ने कहा कि युवा आबादी में आजकल दिल का दौरा पडने के पीछे कई कारण है जैसे गतिहीन जीवन शैली, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, नींद न आना, तनाव, हाई कोलेस्ट्रॉल, पैकेज्ड खाद्य पदार्थ का सेवन आदि। हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से भी खतरा बढ़ा है। लेकिन बहुत कम मामले ऐसे हैं जिसमें दिल का दौरा पड़ने के पीछे  कोविड वैक्सीन जिम्मेदार है।

 
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